आसमान बुनती औरतें

भाग (104)

“अरे रानी इसमें दुखी होने की क्या बात है और तुम इतना भावुक क्यों हो रही हो, जो होगा ठीक ही होगा, अगर बुरा हुआ तो सब मिलकर विरोध करेंगे तुम्हें सपोर्ट करेंगे और अच्छा हुआ तो दिक्कत क्या है इसमें, तुम इस तरह उदास मत हो प्लीज।”… हर्षा ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहां।

दिन भर का जप्त किया हुआ उसका गुस्सा जो भी था वह हर्षा के गले लग कर निकलने लगा, अब तीनों सखियाँ हैरान है, इन सबके बीच में सबसे ज्यादा मजबूत और मजबूती से बात रखने वाली रानी इस तरह बिलख-बिलख कर रो देगी इसकी तो उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी, वह सब तो सोच रही थी कि कोई भी मुद्दा रानी बहुत आसानी से हल कर लेगी और अपने मां-बाप के विरुद्ध भी खड़ी हो सकती है लेकिन यह क्या लड़कियों को इसी मुद्दे पर आकर सामंजस्य क्यों बिठाना पड़ता है।

जब कुछ देर बाद रानी सामान्य हुई तो राखी ने अपने पास की बोतल से उसे पानी पिलाया और इस विषय पर गंभीरता से सोचने के लिए सबको कहाँ अब तो विषय एक तरफ हो गया रानी को संभालना होगा यह इतनी दुर्बल कैसे हो गई ?

“तुम चिंता मत करो रानी, हमारे होटल कि टूरिस्ट बस दीघा समुद्र तट जाती है और कई बार अलग से अतिथि टेक्सी कर के जाते हैं मैं कैसे भी करके तुम्हें इनके बारे में जानकारी इकट्ठी करवा दूँगी परेशान मत हो।”… राखी ने आश्वासन दिया।

“चलो यह बात तो ठीक हो गई क्योंकि जानकारी निकालना है अब यह सोचो अगर सब कुछ ठीक-ठाक निकला तो शादी की तैयारी कैसे की जाएगी ।”…स्नेहा ने माहौल को हल्का करने और रानी के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए कहां।

“हाँ स्नेहा, बहुत सारी तैयारी करनी होगी इसकी शादी में तो भरपूर मजा लेना ही होगा और सोच लो क्या-क्या करना होगा।”… हर्षा ने भी चुटकी ली।

समस्या का हल निकलते ही रानी भी मुस्कुरा दी और तीनों उसकी शादी की योजना बनाने लगी।

“राखी, तुम कोर्ट में शादी कर रही हो फिर भी हम उपस्थित रहेंगी लेकिन शादी की जो तैयारियाँ और मजे आते हैं, उसका भी आनन्द हम लेंगे ही।”…स्नेहा बोली।

“रानी की शादी घर से हुई तो पूरी उम्मीद है कि हम सब पूरा मनोरंजन और उत्साह के साथ शादी में शामिल होंगे।”…हर्षा बोली।

“अरे सुनो.. सुनो, हम तीनों नहीं तब तक तो राखी की शादी हो चुकी होगी, तो रमन जीजू भी तो साथ होंगे, सुन लो राखी, इस बार तुम रमन जीजू को हमसे नहीं बचा सकती।”… स्नेहा ने छेड़ा।

चारों सखियाँ खिलखिला के हंस दी, हंसी खुशी के माहौल में भविष्य की योजना के नए-नए कयास लगाती रही।

क्रमशा:..

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