ग़ज़ल

कभी प्यार दादा का पाओ तो जानें,
ज़रा मार दादी की खाओ तो जानें।

बिरह में जो मरहम लगाती प्रियतमा,
ये बीवी को जाकर सुनाओ तो जानें।

हमारी कसम जो भी तुमने कहा है,
हमें उसका मतलब बताओ तो जानें।

बहुत शेखचिल्ली के किस्से सुनाए,
जो रूठों को अपने मनाओ तो जानें।

यों बहनों के सरताज हो भाइयो तुम,
समय पर कभी काम आओ तो जानें।

न हमको सताओ हमारी कसम है,
ज़रा फिर से तुम मुस्कुराओ तो जानें।

रहेगा अबोला यूँ कब तक घरों में,
सुकूं की भी फसलें उगाओ तो जानें ।

दाईजा

©A

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