ग़ज़ल Gajal
अपनी आँखें हो रही नम क्या करें,
दिल में उम्मीदें भी हैं कम क्या करें।
अब न आएँगे तेरे नज़दीक हम,
हौसले हैं आज बेदम क्या करें।
बेरुखी की बात तो तुम मत करो,
घाव का तुम ही हो मरहम क्या करें।
जिंदगी बदली है मेरी बिन तेरे,
निर्दयी है आज मौसम क्या करें।
वक्त गुजरा राह में नजरे धरे,
आँख भी पथरा गई हम क्या करें।
कैद कर रख लें ये पल जब साथ हो,
हो रही बारिश झमाझम क्या करें।
किरकिरी सी आँख भी मलने न दे,
फिर भी दिखता सब चमाचम क्या करें।
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