ग़ज़ल

1
मुहब्बत का रोशन सितारा हुआ ,
मिलन जो हमारा तुम्हारा हुआ .

हमी ख्वाब में बात करते रहे
न तेरी तरफ से इशारा हुआ .

सहर-शाम चौखट तेरी थाम कर,
कि रोया मेरा दिल ये हारा हुआ.

उसे याद दिल से सभी कर रहे
सिपाही वतन को जो प्यारा हुआ .

उसी रात दुश्मन दगा कर गया ,
उसी दिन तो था भाईचारा हुआ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *