ग़ज़ल Gajal
हमारे बीच में अनबन नहीं है,
मुझे तुमसे कोई उलझन नहीं है।
परिन्दे लौट कर आते हैं घर को,
जरा रुक सांझ तो साजन नहीं है।
दुपहरी बीत जाती है उदासी,
ये फूलोंसे भरा आंगन नहीं है।
भटकते फिक्र में रहते हो क्यों अब,
तुम्हारा मन है वृन्दावन नहीं है।
न रोके से रुकी खिलती कली भी,
मगर जीवन में अब मधुवन नहीं है।
©A