Gajal ग़ज़ल
ग़ज़ल
रहे हम साथ जिसकी हर ख़ुशी में,
वही ग़म दे रहा है ज़िन्दगी में।
ख़ुशी के साथ ही दुनिया में यारो,
रहा है रंज भी हरपल परिधि में।
मुहब्बत करने वाले अब कहाँ हैं,
मिसालें ही बची है जिंदगी में।
तुम्हें छाले जिगर के क्या दिखायें,
हुए शामिल हैं उसकी हर ख़ुशी में।
‘सवि’ रूठों को कैसे हम मनायें,
समंदर इक है पलकों की नमी में।
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