समतुल्य
समतुल्य वह अपनी हीनता के कारण किसी से बात नहीं कर पाता था, हमेशा गुमसुम रहता, कॉलेज में प्रवेश के बाद बाहर निकलने तक वह बहुत कम किसी से बात … Read More
vrindaa.in/wp-admin/post=कविता & action=edit ऐ सागर निर्मोही मैंने तुझसेअपने दिल की बातकही थीऔर कहा थाकिसी और से न कहनापर तुमनेदूसरे तट पर जाकरमेरे प्रीतम के चरणों मेंमेरे अंतरंग दर्द कीपीड़ा रख … Read More
कांस में बना वह घर जिसे देखने वह दूर शहर से आई है, बहुत सुना था घर वालों से, नया घर बनाया हैं बुआजी ने, बुआ ने भी कहा था … Read More
किशन ने जैसे ही कश्यप साहब के पैर छुए वे पीछे हट गए… “अरे यह क्या कर रहे हो” “अंकल, आशीर्वाद दीजिए मेरा सिलेक्शन एसआई के लिए हो गया है।”“अरे … Read More
तपस्वी रूद्रा नंद बाबा हम बाबा बालक नाथ के दर्शन के बाद ऊना लौटे.. जाते वक्त मन बना लिया था कि लौटते में दर्शन करना ही है। अनुमान था … Read More